इकना ने अल-यौम अल-साबेअ के अनुसार बताया कि , मिस्र के इस्लामी कला संग्रहालय में उपलब्ध मुस्हफों की इतनी विविध हैं कि पवित्र कुरान के लेखन पर विशेष रूप से ख़त्तातो ने अरबी लिपि को विकसित करने में मदद किया है। ख़त्तातों ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है और अपना सर्वश्रेष्ठ काम पेश करने के लिए पवित्र कुरान लिखने के लिए प्रतिस्पर्धा की है। इतना ही नहीं अरबी भाषा और अरबी खत्ताती को इस्लामी सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक माना जाता है, इसने कलाकारों को दर्शकों को खुश करने के लिए सुंदर खत्ताती के प्रदर्शन में कुछ नया करने के लिए शौक़ दिलाया।
मिस्र इस्लामी कला संग्रहालय का उद्घाटन अब्बास हिल्मी द्वितीय के शासनकाल के दौरान 28 दिसंबर, 1903 में किया गया था। और इस उद्घाटन का उद्देश्य दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे मिस्र, उत्तरी अफ्रीका, सीरिया, भारत, चीन, ईरान, सऊदी अरब प्रायद्वीप और आंदालुसिया से इस्लामी कार्यों और दस्तावेजों के संग्रह को जमा किया जाए।
से इस्लामी कार्यों और दस्तावेजों को इकट्ठा करना था।
इस संग्रहालय में कई मुस्हफ विभिन्न ख़त्ताती और सुंदर नवाचारों के साथ उत्साही लोगों के लिए प्रदर्शित किया ग़या।
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